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COVID-19 (कोरोना) के रूप में धरती माता का आक्रोश

Updated: Jun 23, 2020

"ध्यान प्रक्रिया के दौरान एक दिव्य समाधान का संकेत प्राप्त हुआ जिसके माध्यम से हम सभी अपने प्रियजनों के जीवन की रक्षा कर सकते हैं" – कृपया लेख को अंत तक पढ़ें | यह मेरी सच्ची कहानी है - डॉ मालविका जैन (माला)। हर दौर में जब जब कुदरत के साथ खिलवाड़ हुआ है तब तब कुदरत ने भी सबक सिखाया है और आज की स्थिति में कोरोना वायरस का प्रकोप एक सबक ही है | निश्चित ही संसाधन दोहन के लिए होते हैं पर इंसान ने स्वार्थवश हो कर हमेशा ही अपने फायदे के लिए पृथिवी के संसाधनों का बेपरवाही से शोषण किया है| ऐसा वक्त तो आएगा ही जब इंसान को अपने ऐसे सभी कर्मों का भुगतान करना ही पड़ेगा और वह समय आज आ चुका है | जिस तरह हमारे शरीर की प्रणाली में आतें हमारी अच्छी सेहत और प्रतिरोधक क्षमता का केंद्र हैं ठीक उसी तरह पृथिवी की नब्ज उसकी वनस्पतियों और पेड़ पौधों में छिपी है जो प्रकृति में संतुलन स्थापित करते हैं | इंसान ने लापरवाही से पेड़ पौधों का विनाश कर धरती की सेहत को बहुत नुकसान पहुंचाया है | पृथिवी के साथ बुरा बर्ताव करने का परिणाम अब हमे मिल रहा है| यह कुदरत के बदला लेने का तरीका ही है कि जैसा हम सभी ने उसके साथ किया वैसा ही व्यवहार वह हमारे साथ कर रही है | कमज़ोर प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्ति सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं | संपूर्ण मानव समुदाय को इस प्रकोप से बचाने का एक ही रास्ता है कि हम सभी इंसान अपनी गलतियों को मानें | प्रकृति से क्षमा याचना करें और धरती पर स्वस्थ वातावरण बनाने और बनाये रखने के हर संभव कार्य को करने की यह प्रतिज्ञा लें | यही एक मात्र सामूहिक उपचार का रास्ता है | 13 मार्च 2020 के दिन मैं बहुत तनाव में थी और भारत में कोरोना संक्रमण के बढ़ते आकड़ों को देखते हुए भविष्य के बारे में चिंतित थी| पूरा दिन टीवी पर समाचार के जरिये बढ़ते मामलों के और बिगड़ती हालत के बारे में मैं सोच रही थी | उस रात सोने से पहले मैंने कोरोना स्थिति के लिए एक चिकित्सा की..... उपचार प्रक्रिया में गहराई तक उतरने के बाद मैं एक ऐसी अवस्था में पहुँच गयी जहाँ कोई विचार नहीं था, एक खाली जगह, चारों तरफ घना अँधेरा था तभी अचानक नीली हरी रौशनी में एक आयताकार, ऊर्ध्वाधर काला चेहरा दिखाई दिया| एक डरावना चेहरा जिसकी आखों में बेहद गुस्सा था | तुरंत ही मेरे विचारों में "क्षमा याचना" का शब्द गूंजने लगा और मैंने महसूस किया कि यह शब्द मैं बार बार दोहरा रही हूँ | धीरे धीरे मुझे एहसास हुआ कि गुस्से से भरी आखें भावनात्मक होने लगीं हैं | अब मुझे समझ में आ गया था कि यह धरती माता का केंद्र है जो मनुष्य के अत्याचार के कारण दुखी है और वह अपने क्रोध, आक्रोश, रोष, विषाक्तता, नकारात्मकता और घृणा को कोरोना आपदा के रूप में दिखा रहा था | मैंने साफ़ तौर पर महसूस किया कि धरती माता इतनी नाराज़ हैं कि उन्हें मानवता का मजाक उड़ाने पर मजबूर होना पड़ा। इस ध्यान और उपचार सत्र के दौरान मैंने मानसिक रूप से प्रार्थना शुरू कर दी कि हे धरती माता, आप शांत हों | संपूर्ण मानव जाति की ओर मैं आपसे क्षमा मांगती हूँ, आपने हमे यह सबक सिखाया और अब हमने यह जान लिया है कि प्रकृति के सकारात्मक नियमों में संतुलन बनाये बनाए रखेंगे | कृपया शांत होकर हमें क्षमा प्रदान करें | इन हृदयस्पर्शी शब्दों के लगातार उच्चारण से धीरे धीरे वे आखें शांत होकर विलुप्त हो गयीं और एक बार फिर वहां घने अंधकार के अलावा कुछ और नहीं था| मैंने उन आँखों को खोजने की कोशिश की लेकिन उन्हें फिर से नहीं देख सकी | उस दिन के बाद से, हर दिन में प्रार्थना करते हुए धरती माँ से क्षमा याचना करती हूँ| लेकिन मैंने महसूस किया कि एक इंसान के करने से कुछ नहीं होगा, हम सभी को क्षमा प्रार्थना करनी चाहिए | कुदरत के नुक़सान के लिए हम सभी बराबर से जिम्मेदार हैं | हम सभी को यह समझना चाहिए कि अगर हम इंसान खुद को धरती का सबसे बुद्धिमान प्राणी मानते हैं, तो हमें अपनी गलतियों को भी स्वीकार करें, धरती माँ से माफ़ी मांगने के साथ उसका पोषण करने भी प्रारम्भ कर दें | यह प्रण आज के समय की मांग है | हर एक इंसान को यह जिम्मेदारी लेनी होगी, न केवल जिम्मेदारी लेनी होगी बल्कि उसे पूरा भी करना है | इस पोस्ट के माध्यम से अपनी बात आप सभी तक पहुंचने की यह मेरी कोशिश है ताकि आप सभी जागरूक बने, प्रकृति को नुकसान पहुंचाने की अपनी गलती को मानें, माफ़ी मांगें और इस दिशा अपना सकारात्मक कदम उठायें | “हे प्रकृति माँ, हम आपसे क्षमा याचना करते हैं| हे माँ, अपना आशीर्वाद और सुरक्षा कवच हम सभी पर बनाये रखें और हमें सद्बुद्धि दें कि हम सभी पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत बनाये रखने के लिए कार्य करें | हे माँ, हम सभी आपकी दयालुता, प्रेम और आशीर्वाद के प्रति कृतज्ञ हैं | कृपया हमारा धन्यवाद स्वीकार करें |” (अपनी आंखों को बंद करके इस प्रार्थना पर कुछ समय के लिए ध्यान केंद्रित करें और हर बार जब आप ध्यान केंद्रित करें तब स्वस्थ और सुंदर पृथ्वी की कल्पना करें| स्वस्थता और प्रसन्नता के साथ आप अपने परिवार के साथ अपने परिवेश और पूरी दुनिया में सौहाद्र, प्रेम, स्वस्थ, स्वच्छ और शांत वातावरण को अपनी कल्पना में साकार होते देखें| ) यह प्रार्थना कोई भी व्यक्ति, चाहे वो किसी भी देश से हो, चाहे वह किसी भी धर्म का हो, किसी भी जगह पर रहते हुए, किसी भी समय पर कर सकता है| इस प्रभावशाली प्रार्थना के जरिये आप वर्तमान परिस्थितियों का उपचार कर सकते हैं| आभार डॉ मालवका जैन



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